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Writer's pictureHarsha Khanna

पार्किंसन रोग के निदान की तलाश कब करें

Updated: Aug 22

(Read it in English) आजकल हर सवाल का जवाब इंटरनेट के माध्यम से मिल जाता है। चाहे वो बिमारी के लक्षण या इलाज से जुड़े सवाल ही क्यों ना हो। इंटरनेट के माध्यम से चिकित्सा और आसान उपलब्धता के साथ अक्सर लोग अपने विभिन्न लक्षणों को विशिष्ट बीमारियों से जोड़ते है।


कोई भी अपने या अपनों के साथ ऐसी घटना नहीं चाहेगा, खासकर पार्किंसंस जैसी गंभीर बीमारी को लेकर।

इस लेख के जरिये हम आपको बताना चाहेंगे कि आपको पार्किंसन का चिकित्सीय निदान कब करवाना चाहिए।


Key symptoms of  parkinson's disease


१. झुकना : परिवार या आप स्वयं महसूस करे कि जब आप खड़े होते है तब आपका शरीर असामान्य तरह से झुकने लगा है।


२. कम्पन : ये अक्सर किसी एक अंग, जैसे हाथ या उँगलियों में, शुरू होती है। अनुभव किया गया है कि ये तब होता है जब आपका हाथ किसी कार्य से मुक्त होगा , लेकिन जैसे ही आप कोई काम करने लगेंगे तब ये कम्पन बंद हो जाती है। लेकिन हर कम्पन का मतलब ये नहीं की आपको पार्किंसंस है।


३. मांसपेशियों में अकड़न : ये अक्सर बाजू या टांगो में होती है। अक्सर देखा गया है की जिस अंग में कम्पन होती है, उसी तरफ की मांसपेशियों में अकड़न होती है।


४. गति धीमी होना : सामान्य काम , जैसे बिस्तर या कुर्सी से उठना ,प्लेट उठाना , बटन लगाना , शू लैस बांधना आदि कामों में ज्यादा समय लगने लगे क्योंकि आपकी काम करने की गति कम हो गयी है। अक्सर लगता है कि शायद कमज़ोरी है , जबकि ये धीमापन है। आपको रोज़मर्रा के कामों में ज्यादा वक्त लगने लगे।


५. चेहरे की अभिवयक्ति (facial expressions) में कमी : चेहरे के भावों में कमी होने लगे खासकर बात करते हुए , जब आप हँसे या उदास हो। इसका असर अचेतन भावों , जैसे पलके झपकाने या मुस्कुराने पर भी देखा जाने लगे ।


६. बाँह के झूलने पे कमी : चलते हुए आपकी एक बाँह दूसरी बाँह से कम झूलने लगे । ये अक्सर आपके परिवार के सदस्य के ध्यान में आती है।


७. लिखावट छोटी होना : आपकी लिखावट छोटी हो रही हो या अक्षर आपस में जुड़ रहे हो । और आपकी लिखने की गति भी धीमी हो रही हो ।


८. आवाज़ का धीमा होना या कमजोर होना : आपकी आवाज़ कमज़ोर हो जाए और लोग आपको ऊँचा बोलने को कहने लगे। बोलने के उतार चढ़ाव में कमी होने लगे और बोलते हुए भाव कम लगने लगें जिससे आपकी आवाज़ एक लय में हो।


जल्द शुरुआत :


जबकि अधिकाँश लोगों में PD के लक्षण ६०वे दशक के मध्य में (यदि बाद में नहीं) विकसित होते है , पर कुछ छोटे प्रतिशत में ५० वर्ष में भी PD विकसित हो जाती है। ऐसे मामलों को जल्द शुरुआत कहा जाता है , ये कई बार २० वर्ष से ४० वर्ष के बीच में भी शुरू हो सकता है। लेकिन ज्यादातर ४० वर्ष के बाद होता है।


जैसेकि PD आमतौर पर बड़ी उम्र के लोगों में देखा जा सकता है, जब इस तरह के लक्षण कम उम्र के लोगों में नज़र आते है तो अक्सर आसपास के लोगों और खुद पीड़ित का इन लक्षणों की तरफ ध्यान नहीं देते। लेकिन, अगर आपके परिवार में ये आनुवंशिकी है , यानि कि आपके माता पिता , दादा दादी , नाना नानी में से किसी को है , तो आपको इन लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए और डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।


ऊपर दिए गए लक्षण जल्द होने वाले PD के मामलों में भी देखा जाता है - लेकिन अकड़न , धीमापन , अचेतन शारीरिक हलचल और कम्पन आम तौर पर देखे जा सकते है।


अंत में :


ऊपर दिए गए लक्षणों में से एक अकेला लक्षण PD का निदान करने के लिए काफी नहीं है। जब कई लक्षणों का संयोजन होगा , तब PD होने का शक हो सकता है।


ये ध्यान देने वाली बात है कि ये लक्षण कई और मस्तिष्क सम्बन्धी विकारो में भी देखे जा सकते है।


ये ज़रूरी है कि आप अपने पारिवारिक डॉक्टर (family doctor) या न्यूरोलॉजिस्ट (neurologist) से परामर्श करे , खासकर आपको कई दिंनो तक या ज्यादा लक्षण नज़र आते है तो। पार्किंसंस होते हुए भी आप एक संतोषजनक जीवन व्यतीत कर सकते है। कई तरह के नए उपचार और चिकित्सा का विकास हो रहा है। हम आपको सलाह देंगे कि आप चिकित्सक से इलाज करवाए , क्योंकि उपचार करने में देरी के कारण ये बिमारी और उसके लक्षण बहुत जल्दी बढ़ सकते है। पढ़िए पार्किंसंस का निदान किस से करवाएं?



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