मैंने अपने पिछले लेख में कहा था कि कई लोग अपने पार्किंसंस से पीड़ित होने की बात छुपाते हैं। इसी विषय में एक मज़ेदार किस्सा है।
श्री रामचंद्र करमरकर ,जिन्हें हम पार्किंसंस मित्रमंडल का सर्वेसर्वा कहता हैं , काफी उत्साही कार्येकर्ता हैं। एक बार वे दवाई की दूकान पर गए। वहां उन्हें एक वृद्ध शख्स , दवाई लेते हुए नज़र आये। उनका एक हाथ कांप रहा था। ये देखकर , श्री करमरकर समझ गए कि ये पार्किंसंस से पीड़ित हैं। जो दवाइयाँ उन्होंने लीं वे भी पार्किंसंस की ही थी , श्री करमरकर जी ने सोच कर उन्हें रोकने की कोशिश ताकि उन्हें पार्किंसंस मित्रमंडल के बारे में जानकारी दे सकें। लेकिन वे शख्स उन्हें नज़रअंदाज़ कर जाने लगे। करमरकरजी को लगा शायद उन्होंने ने सुना नही। वे उन शख्स के पीछे जाने की सोच रहे थे लेकिन उन्हें अपनी दवाएं लेनी थी। वे किस दिशा में जा रहें हैं ये करमरकरजी ने देखा और अंदाजा लगाया की वे कहीं आसपास ही रहते होंगे।
फिर एक दिन पूछते पूछते करमरकरजी उन शख्स के घर पहुंचे , उनकी धर्मपत्नी ने दरवाज़ा खोला। करमरकर साहब ने अपना परिचय दिया और पार्किंसंस मित्रमंडल के बारे में बताया। उस पर उन्होंने करमरकर साहब को झट से रोका और कहा कि "आप जो कार्य कर रहें हैं वो सराहनीये है , पर इन्हें पार्किंसंस है ये किसी को पता चले ये इन्हें बिल्कुल पसंद नहीं। ये सेना में थे , काफी ज़िद्दी हैं और इस कारण ये किसीकी नहीं सुनते। इसलिए आप यहाँ से जाएं , ये आपके साथ कैसा व्यव्हार करेंगे ये मैं भी नहीं जानती। कहीं ये आपका अपमान न कर दे। " उनकी ये बातें सुनकर करमरकरजी लौट आये। जब करमरकरजी ने हमें ये वाक्य सुनाये तो हम सब मुस्कुराये बिना न रह सके , और साथ ये ही सोचने लगे कि अपनी बिमारी छुपाना कहाँ तक सही है।
लेकिन ऐसा भी होता है। एक और शख्स थे , वे नौकरी करते थे और उन्हें सारी वैदकिये सुविधा उपलब्ध थी , लेकिन वे उन सुविधओं का लाभ नहीं लेते थे। उन्हें लगता था कि अगर वे ये सुविधाएं लेंगे तो सभी को पता चल जाएगा कि उन्हें पार्किंसंस हैं और ये बात वो किसी को बताना नहीं चाहते थे। बाद में जब वे स्वयं सहयता समूह में आने लगे , तब उन्हें अहसास हुआ कि वे इसे ख़ामख़ा में ही छिपा रहे थे। अब वे काफी खुशहाल हैं।
एक अन्य शख्स ने खुद को कम आयु में हुए पार्किंसंस के बारे में अपने परिवार तक को नहीं बताया था। जाने माने हॉलीवुड अभिनेता माइकल जे फॉक्स के साथ भी ये ही हुआ। शुरुआत में उन्हें पार्किंसंस है ये बात उन्होंने सब से छुपाई। उनके दिमाग में हमेशा एक टेंशन रहती लेकिन जब उन्होंने ये बात सबके साथ साझा की तब उन्हें काफी राहत महसूस हुई। इतना ही नहीं आगे चलकर उन्होंने माइकल जे फॉक्स फाउंडेशन की स्थापना की और उसके माध्यम से वे विभिन्न गतिविधियों को अंजाम देकर पार्किंसंस के बारे में काफी रिसर्च करने में सहयोग कर रहें हैं। इस कारण ये लोगों के लिए एक रोल मॉडल बन गए हैं।
छुपाने से कुछ हासिल नहीं होता , बल्कि ये छुपाने के लिए आपको कई पापड़ बेलने पड़ते हैं और आप हमेशा परेशान रहते हैं। उदारहण के तौर पर जैसे हाथों की कम्कम्पी नज़र किसीको नज़र न आये इसलिए हाथ को हमेशा जेब में डालकर रखना पड़ता है। ऐसे समय में अगर कोई आपको कुछ देना चाहे तो आप अपना हाथ बाहर निकालने से कतराते हैं। सामने वाला क्या सोचेगा ये भी आप सोचते हैं। यानी के आपके छुपाने से आपके मस्तिष्क में एक तनाव रहता है और सामने वाले को गलत फहमी होती है, इसके सिवा कुछ नहीं होता। इस बिमारी को ख़त्म करना संभव नहीं है क्योंकि ये बिमारी नाइलाज है , यह बात शुरू से ही समझ आ जाता है। लेकिन इसको छुपाने से एक अलग परेशानी का सामना करना पड़ता है , ये परेशानी बेवजह होती है। इसके विपरीत अगर आपके आसपास के लोगों को पता हो कि आप इस बिमारी से ग्रस्त हैं तो आपका जीवन तनावमुक्त होगा ये मैं आपको बताना चाहती हूँ।
मुझे ज्ञात है कि फेसबुक पर कई लोग हैं जिन्हें पार्किंसंस है और वह मेरे लेख पढ़ते भी हैं। लेकिन वे ये बात छुपाना चाहते हैं कि वे इस बिमारी से ग्रस्त हैं। इस लिए वे मित्रमंडल में नहीं आते। उन्हें आना नहीं होता , बताना नहीं होता , कुछ पूछना नहीं होता। लेकिन फिर भी उन्हें जानकारी चाहिए होती है , ये बात मैं जानती हूँ पर ऐसा ना करें आपसे ये विनती है।
अक्सर ऐसा होता कि कम उम्र में पार्किंसंस होने पर , इस बिमारी का मेरी नौकरी और व्यवसाय पर असर होगा क्या , ये विचार ज़रूर आता है। इस लिए बिमारी को छुपाने का मन होता है। लेकिन बता देने पर आप एक तनाव मुक्त जीवन जी सकते है। अपने आसपास के लोगों को ये बताने के बाद आप पार्किंसंस के साथ ख़ुशी से रहने में ये काफी सहायक होता है। आगे के लेखों में छोटी उम्र में पार्किंसंस के ग्रस्त होने वालों के बार में बात करूंगी। छोटी उम्र में पार्किंसंस होने के बावजूद ये अपनी नौकरी और व्यवसाय कितनी अच्छी तरह से कर रहें हैं , और कुछ तो अपना कार्य पूर्ण कर रिटायर हो चुकें हैं