कई शोधकर्ताओं का कहना है कि पार्किंसंस होने पर रोगी को अपने आप में बदलाव लाने की ज़रुरत होती है। जिसे होलिस्टिक एप्रोच (Holistic Approach) कहा जाता है। इसमें खान पान , रहन सहन, मानसिक स्थिति आदि पर ध्यान देना ज़रूरी हैं। अगर आपकी मनोस्थिति अच्छी एवं आशावादी है, तो आप देखेंगे कि आपकी शारीरिक तकलीफे कम हो जाती है। पढ़िए पार्किंसंस के साथ अच्छा जीवन कैसे जीएं
कई डॉक्टर्स व्यायाम करने की भी सलाह देते है। लेकिन साथ में चेतावनी भी देते है कि अपनी योगिता अनुसार एवं डॉक्टरों के परामर्श से ही ये करे।
व्यायाम और शारीरिक गतिवधियों से पार्किंसंस के कई लक्षणों में सुधार आ सकता है। पढ़िए पार्किंसंस से पीड़ितों के लिए व्यायाम के फायदे
एरोबिक एक्टिविटी: (Aerobic Activity)
एक सप्ताह में कम से कम से ३ दिन ये व्यायाम करना चाहिए। अपनी क्षमता अनुसार लगातार या रुक रुक कर ३० मिनट तक तेज़ चलना , दौड़ना , साइकिल चलाना , तैरना , एरोबिक क्लासेज में जान।
गौर करने लायक बातें : चाल में अकड़न , कम रक्तचाप , हृदय गति की प्रतिक्रिया में कमी होना। देख रेख की आवकश्यता हो सकती है।
अंगो की ताकत बढ़ाना: (Strength Training)
सप्ताह में २ से ३ दिन ये व्यायाम करे, लेकिन १ या २ दिनों के अंतराल में। ये व्यायाम कम से कम ३० मिनट के लिए करे। ये प्रमुख मांसपेशिओं की शक्ति बढ़ाने के लिए ये बहुत आवश्यक है। प्रतिरोध (Resistance) गति एवं बल बढ़ाने वाली क्रियाएं करे।
बाजुओं से वज़न उठाना, पैरों में वज़न बांधकर व्यायाम करना, रेजिस्टेंस बैंड (Resistance Band) का उपयोग करना।
गौर करने लायक बातें : मांसपेशियों में अकड़न के कारण कुछ बाधायें आ सकती है।
संतुलन, चुस्ती बढ़ाना: (Balance, Agility)
अलग अलग दिशाओं में चहल कदमी, योग, नृत्य, मुक्केबाज़ी , इत्यादि जैसे व्यायाम सप्ताह में कम से कम २-३ दिन करें , वैसे ये व्यायाम आप रोज़ भी कर सकते है।
गौर करने लायक बातें : संतुलन , लचीलापन की सुरक्षा चिंताओं का ध्यान रखना ज़रूरी है। `किसी स्थिर वस्तु को पकड़कर ये व्यायाम करें। किसी की देख रेख में ये गतिविधि करें।
स्ट्रेचिंग : (Stretching)
ये व्यायाम रोज़ करना चाहिए, अगर ना हो पाए तो कम से कम सप्ताह में २ से ३ दिन करें l कोई भी व्यायाम करने से पहले मांसपेशियों को ढीला करने के लिए ये बहुत ज़रूरी है। इसके साथ प्राणायाम करना चाहिए।
गौर करने लायक बातें : दर्द , अंगो की दशा जैसे अकड़न इत्यादि के कारण कुछ बदलाव करने पड़ सकते है।
· फ़िज़ियोथेरेपिस्ट (Physiotherapist) से अपना शारीरिक अवलोकन करवाए।
· सुरक्षा पहले : जब आप कोई नवी औषधि ले रहे हो , तब व्यायाम करने में थोड़ा बदलाव लाये , कुछ हल्की कसरतें करें। अकेले व्यायाम ना करें , किसी की देख रेख में करें।
· व्यायाम में परिवर्तन करना : अपने शरीर एवं क्षमता को देखते हुए , व्यायाम में बदलाव करते रहे।
· कोशिश करें कि सप्ताह में कम से कम १५० मिनट माध्यम से तीव्र व्यायाम करने का लक्ष रखें।