ये बात एकदम पक्की है कि निदान, चिकित्सा के लिए अनिवार्य है। ये इलाज की योजना और इलाज के लिए एक राह बनाता है। कई बार हमने रोग का गलत निदान से होने वाली तकलीफों के बारे में सुना है। सही उपचार न बताया जाना ,गलत उपचार करना आदि के कारण हालत का बिगड़ना ये छोटे बड़े चिकित्सालय में सामान्य सी बात है , ये सब गलत निदान की वजह से होता है।
ये पार्किंसंस के रोगी के साथ होता हुआ अक्सर देखा गया है। इंग्लैंड में पार्किंसंस के २००० रोगियों के किये गए एक सर्वे के अनुसार लगभग चौथाई (२६%) का पार्किंसंस का सही निदान होने से पहले गलत निदान हुआ था।
लेकिन ये भी है कि कई बार पहले पार्किंसंस का गलत निदान होता है और फिर वो कोई और ही रोग निकलता है या फिर रोगी को कोई और बीमारी बतायी जाती है जो बाद में पार्किंसंस निकलती है। ये दोनों ही बातों में गलत इलाज शुरू कर दिया जाता है और सही इलाज देर से शुरू होने के कारण बिमारी बढ़ जाती है।
पार्किंसंस के इस गलत निदान के कई कारण हैं। पार्किंसंस एक जटिल रोग हैं , जिसके लगभग ४० से ज्यादा लक्षण हैं जो पता हैं। हर रोगी में नज़रआने वाले लक्षण अलग होते हैं , उनका प्रकट होने का क्रम अलग होता , उन लक्षणों के प्रकट होने और बढ़ने के गति अलग होती हैं।
आज की तारीख में पार्किंसंस के निदान के लिए कोई टेस्ट नहीं हैं। अर्थात X Ray , CT स्कैन , MRI , रक्त परिक्षण , मूत्र तथा मल परिक्षण वगैरह करवाने का कोई उपयोग नहीं हैं। पार्किंसंस का निदान लक्षणों के आधार और डॉक्टर द्वारा पूछे गए कुछ सवाल आदि पर निर्भर हैं। कई बार मस्तिष्क स्कैन (Brain Scan ) जैसे Trodat और F -Dopa करने की सलाह दी जाती हैं पर वे भी दोषहीन नहीं हैं। वैसे अगर ये स्कैन सामान्य हैं तो ये निश्चित होता हैं कि पार्किंसंस नहीं हैं पर अगर ये असामान्य हैं तो ये कहना मुश्किल हैं कि रोग पार्किंसंस हैं या पार्किंसंस जैसा कुछ।
कुछ और रोग हैं जिनके लक्षण , पार्किंसंस जैसे होते हैं। इनकी जानकारी नीचे दी गयी हैं।
पार्किंसंस की नक़ल करने वाले :
कुछ ऐसे रोग जिनके लक्षण पार्किंसंस जैसे होते हैं इस कारण उन्हें नकलची पार्किंसंस कहा जाता हैं।
ये हैं निम्म प्रकार के हैं :
औषधि से होना वाला पार्किंसंस –
कुछ मनोवैज्ञानिक , चक्कर आना यानी वर्टिगो (Vertigo) , रक्तचाप की औषधियां ये पार्किंसंस जैसे लक्षण दे सकती हैं।
पार्किंसंस के साथ कोई और रोग :
जिसमे पार्किंसंस के साथ और कोई रोग होता हैं जिनके लक्षणों का निदान करना अनिवार्य हैं।
मस्तिष्क क्षति के कारण नकलची पार्किंसंस :
मस्तिष्क में ताम्बा (कॉपर) लोह (आयरन ) की अधिकता , HIV जैसी बिमारी या हार्ट अटैक (Heart Attack) के कारण हुई मस्तिष्क क्षति।
पार्किंसंस की असंबद्ध नक़ल : (Unrelated Mimics of Parkinsons)
निम्नलिखित अवस्थाएँ जो गलती से पार्किंसंस के लक्षण समझे जाते हैं :
अनिवार्य कंपन :
हाथों और पैरो में दोनों तरफ क्रियाशील होने पर होने वाली कंपन , को पार्किंसंस समझा जाता हैं लेकिन ये अलग होती है। पार्किंसंस में कंपन एक तरफ से शुरू होती है और विश्राम की स्थिति में होती हैं।
नार्मल प्रेशर हीड्रोसेफालुस (Normal Pressure Hydrophalus) –
ये वो अवस्था है जिसमे दिमागी और रीढ़ की हड्डी से द्रव ठीक से निकलता नहीं हैं और पार्किंसंस जैसे लक्षण , हलचल करने में सुस्ती , भ्रष्ट सोच , महसूस होते हैं।
लेवी बॉडीज के कारण मनोभ्रंति (Dementia with Lewy Bodies)
इस मनोभ्रंति में याददाश्त और विचार , प्रोटीन के निश्चित प्रमाण में अधिकता कारण पहले नज़र आते हैं। ये लक्षण पार्किंसंस के कुछ रोगियों में रोग के उन्नत चरणों में नज़र आते हैं।
एक से अधिक प्रणाली शोष (Multiple System Atrophy )
इसमें लक्षण पार्किंसंस की नक़ल करते हैं लेकिन इसमें मूत्र लक्षण , पसीने में कमी आदि।
प्रोग्रेसिव सुपरनुक्लेअर पाल्सी (Progressive Supranuclear Palsy )
इसमें भी शुरआती चरणों में गिरना ,बोलने में अड़चन , आँखों में सीमित गतिशीलता जैसे लक्षण नज़र आते हैं।
References: https://drkharkar.com/what-can-mimic-parkinsons/
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