(Read in English) पार्किंसंस के कई लक्षण है (पढ़िए पार्किंसंस के लक्षण) कुछ बिमारी के शुरूआती दौर में नज़र आते हैं जो समय के साथ साथ बढ़ते जाते हैं और कुछ बिमारी के साथ साथ बढ़ते हैं। वैसे तो, पार्किंसंस का कोई इलाज़ नहीं हैं लेकिन कुछ निर्धारित औषधियों के सेवन से लक्षणों की तीव्रता में कमी आती है। ये औषधि पार्किंसंस के साथ जीवन व्यापन करने के लिए काफी अनिवार्य है। ये रोगी के सामान्य जीवन जीने के लिए सहायक होती हैं, दर्द से राहत देती हैं और कुछ लक्षणों में भी आराम देती हैं।
कुछ औषधियों के दुष्परिणाम भी होती हैं। इस लेख के ज़रिये हम आपको इसकी जानकारी देंगे। हम डॉक्टरों द्वारा बतायी गयी कुछ औषोधियों के दुष्परिणामों के बारे में जानकारी देंगे,
लेवोडोपा (Levodopa):
ये औषधि सामान्य तौर पर पार्किंसंस के लिए दी जाती हैं। शुरूआती समय में कई रोगियों को इसे लेने पर उबकाई (मतली) आती हैं। लेकिन अच्छी बात हैं कि कुछ समय बाद ये शिकायत में कमी आती हैं। जब शरीर को इसकी आदत हो जाती हैं तब ये तकलीफ कम हो जाती हैं।
लेवोडोपा लेने से कई रोगियों को कब्ज़ और पेट की शिकायतें होती हैं क्योंकि ये औषधि आँतों के ज़रिये पचती है। लम्बे समय तक लेवोडोपा लेने के कारण अनैच्छिक गतिविधयां (Involuntary Movements) बढ़ सकती हैं जिसे डॉक्टर दवा की मात्रा कम ज्यादा कर नियंत्रण में ला सकते हैं।
बाकी दुष्परिणाम हैं:
भ्रान्ति (Confusion)
मिजाज में गड़बड़ी (Mood Swings)
सुस्ती (Sleepiness), चक्कर आना (Dizziness) बेहोशी (Fainting)
मतिभ्रम (Hallucinations) भ्रम (Delusions)
आवेशपूर्ण (Impulsive) बाध्यकारी (Compulsive) व्यवहार
कई बार लेवोडोपा की मात्रा, उसे लेने के समय तथा दवा की शैली के बदलने से दुष्पाणिनामो में कमी आती है। इसे और औषधियों के साथ भी लिया जा सकता है।
डोपामाइन ऐगोनिस्ट्स (Dopamine Agonists)
पार्किंसंस के कारण मस्तिष्क में डोपामाइन बनने की प्रक्रिया में कमी होती है, उसकी कमी को पूर्ण करने के लिए डोपामाइन की तरह काम करने वाली औषधि दी जाती है। इस औषधि से तांत्रिको (nerves) को उत्तेजित करने के मदद मिलती है। इस इलाज को बहुत ध्यान से शुरू करना होता है और दवा की मात्रा बिमारी के लक्षणों के हिसाब से नियंत्रित करने की आवश्यकता होती है।
इस औषधि को दिन में एक बार लेना होता है (क्योंकि ये दवा के संश्लेषण को धीरे-धीरे और स्थिरतापूर्वक छोड़ते हैं | या दिन में कई बार लेना होता है। आजकल चमड़ी पर चिपकाने वाली दवाइयाँ भी आयी है।
इसके दुष्परिणाम लेवोडोपा की तरह ही है:
और कई बार लम्बे समय तक सेवन करने से फेफड़ों और ह्रदय के टिश्यू में असर पड़ सकता है। इस कारण नियमित निगरानी के साथ CT स्कैन / अल्ट्रासाउंड (CT scan /Ultrasound) से करने चाहिए।
आमंतदिन (Amantadine)
ये औषधी कुछ रोगियों के लिए असरदार होती है और वो भी कुछ समय के लिए ही। इसका असर काफी उत्तेजक और थकान में कमी करता है। कुछ रोगी शारारिक अकड़न में कमी महसूस करते है।
चक्कर आना, नज़र का धुँधला होना, टखनों में सूजन आना आदि इस औषधि के दुष्परिणाम है।
बाकी औषधियों के साथ पार्किंसंस की दवाओं का असर
कुछ पार्किंसंस से पीड़ित रोगी उच्च रक्तचाप (Hypertension), और ह्रदय एवं रक्तवाहिकाओं (Cardio -Vascular) की दवाएं भी ले रहे होते है। अपने डॉक्टर को इस बारे में बताना बेहद आवश्यक है , ताकि वे इस बात का ध्यान रखते हुए आपकी औषधियों में बदलाव करें। कुछ औषधियां इनसे मिलकर , हानिकारक असर कर सकती है, इस लिए इन दवाओं को बंद करना या कम करना पड़ सकता है।
औषधियों के असर में कमी:
कई बार लम्बे समय तक औषधि लेने से उसका असर कम होने लगता है। इसे अंग्रेजी में वेअरिंग ऑफ (Wearing Off) कहते है। इसके लिए औषधि की मात्रा में बदलाव करने की ज़रुरत है। वास्तव में , ये पार्किंसंस की बिमारी जैसे ही लक्षण दिखाने लगती है , जैसे चलने फिरने में अड़चन वगैरह। लेकिन मात्रा के बदलाव से ये लक्षण कम हो जाते है।
दुष्परिणामों को सँभालने के सुझाव:
सबसे सरल उपाय इन औषधियों को हर बार सही समय पर लेना है। मगर निर्धारित समय के साथ लेने के लिए (कुछ भोजन से पूर्व , कुछ भोजन के बाद और बाकी अपेक्षाएं) मोबाइल, स्मार्ट वॉच , आटोमेटिक दवा के डिब्बे से मदद ले सकते है। अपने लक्षणों की एक डायरी में समय के साथ लिखें , कब वह लक्षण महसूस किये , कितने बजे, उनकी तीव्रता आदि , इस से आपको लक्षणों को समझने और औषधि के असर के बारे में डॉक्टर को जानकारी देने में आसानी होगी। अपनी औषधियों का एक लिखित समय सरणी बनाये , ये आपके परिवार जनों और शुभचिंतको को सहयोग देगी। अगर आप किसी वजह से हस्पताल जाते है तो नर्सों मदद मिलेगी।
डॉक्टरों के द्वारा बताये गए औषधि के होने वाले दुष्परिणामों ज़रूरी नहीं की आपको हो ,या सभी को होतें हो। निश्चित रहें ज्यादा घबराएं नहीं, आपको ये दुष्परिणाम हलके हो सकते है या फिर नहीं भी हो सकते। लेकिन दुष्परिणाम दिखने पर दवा लेना एकदम से बंद न करे न ही इसकी मात्रा में बदलाव करे। अपने डॉक्टर से इसके बारे में विचार विमर्श करें , वे इसकी मात्रा में कुछ बदलाव कर सकते है। पार्किंसंस की औषधियां धीरे धीरे कम की जाती हैं, वरना इसका परिणाम घातक हो सकता है। अगर आप किसी पार्किंसंस रोगी का ध्यान रख रहें है यानी (Caregiver) है तो आप को ये जानना ज़रूरी है की रोगी में भ्रम एवं बाध्यकारी बर्ताव नज़र आ सकते है, जो रोगी को समझ नहीं आ सकते। अगर आप इस बारे में पहले से जान लेंगे तो आप सतर्क और कम चिंतित हो सकते है। रोगी का ध्यान रखते हुए आप अपना भी ध्यान रखें।
References: