अंगों की कम्पन, मांसपेशियों की अकड़न और शारीरिक गतिविधियों का धीमा होना, इन्हें एक ही नाम दे दिया जाता है, पार्किंसंस। लेकिन पार्किंसंस के कई प्रकार है। जैसे :
1. कॉर्टिसोबासल डिजनरेशन (Corticobasal Degeneration) : ये एक यदा कदा होने वाला पार्किंसंस का प्रकार है। इसमें रोगी की मानसिक प्रक्रियों, व्यवहार एवं व्यक्तित्व तथा पार्किंसंस जैसे लक्षणों पर असर हो सकता है।
2. डेमेंशिआ विथ लेवी बॉडीज (Dementia With Lewy Bodies) : दिमाग में सूक्ष्म प्रोटीन जमा होने से इस प्रकार का पार्किंसंस रोग होता है। ये दिमागी सेल (cell) की मृत्यु से जुड़ा हुआ है।
3. नशीले पदार्थों के कारण पार्किंसंस: ( Hard -Drug-induced Parkinson's) : कुछ लोगों कोनशीली दवाइयाँ ( जैसे कुछ कीटनाशक दवाएं और नशीले ड्रग्स जैसे MPTP) लेने के बाद पार्किंसंस हो जाता है। जो पहले से ही पार्किंसंस से पीड़ित होते है , उनके पार्किंसंस के लक्षण और तीव्र हो जाते है।
4. अंगों में कम्पन (Essential Tremor) : ये एक आम प्रकार का पार्किंसंस है, इसमें हाथों, पैरों से बढ़ते हुए ये सिर, टांगों, बदन या आवाज़ पर असर कर सकता है।
5. मल्टीप्ल सिस्टम एट्रोफी (Multiple System Atrophy) : ये एक प्रगतिशील दिमागी पार्किंसंस का प्रकार है , जिसमें शारीरिक हलचल , संतुलन और कई शारीरिक कार्य जैसे पिशाब का नियंत्रण पर असर पड़ता है।
6. प्रोग्रेसिव सुपरनुक्लेअर पाल्सी (Progressive Supranuclear Palsy) : ये एक कम प्रचलित प्रकार है , जिसे अक्सर पार्किंसंस या अल्झाइमर (Alzheimer ) समझकर गलत निदान किया जाता है। इसके लक्षण पार्किंसंस से मिलते जुलते है , लेकिन ये तेज़ी से बढ़ती है और पार्किंसंस की दवाओं का इस पर कोई असर नहीं होता।
7. वैस्कुलर पर्किन्सोनिस्म (Vascular Parkinsonism) : कई छोटे झटके लगने के कारण मस्तिष्क को मिलने वाली जानकारी से पार्किंसंस जैसे लक्षण नज़र आते है , जैसे अकड़न , चाल का धीमा होना , छोटे छोटे डग भरना , बोली , याददाश्त और विचार करने की योगिता। इस प्रकार में झटके अचानक से आते है और ज्यादा प्रगति नहीं करते , जबकि पार्किंसंस के लक्षण धीरे धीरे बढ़ते है।
Source www.parkinsonseurope.org
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