पार्किंसंस एक तंत्रिका सम्बंधित स्थिति है, जिसे अंग्रेजी में Neurological Condition कहते है। इस कारण संभावना है कि इसके निदान और इसके प्रबंधन के लिए आपको एक न्यूरोलॉजिस्ट (Neurologist) की सलाह लेनी पड़े। न्यूरोलॉजिस्ट से परामर्श लेते समय ये ध्यान रखे कि वह न्यूरोलॉजिस्ट पार्किंसंस विशेषज्ञ हो।
पार्किंसंस के बाद का जीवन स्तर:
ये ध्यान दें कि हम प्रबंधन कह रहे है इलाज नहीं, क्योंकि पार्किंसंस का कोई इलाज अभी तक नहीं मिला है। पार्किंसंस से सम्बंधित लक्षण (पढ़िये पार्किंसंस के लक्षण) और पार्किंसंस का मस्तिष्क पर असर वर्षों के साथ बदतर होता जाता है। (पढ़िये पार्किंसंस की मूल बातें) पार्किंसंस के रोगी और उनके शुभचिंतक हमेशा इस कोशिश में रहते है की लक्षणों और उनके असर में कुछ कमी हो , जिससे रोगी अपनी सामान्य ज़िन्दगी जी सके। साथ में ये कोशिश रहती है की रोगी का जीवन स्तर बरकरार रहे। इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, रोगी के शुभचिंतक अन्य विशेषज्ञ से मिलकर परामर्श करें। आपके न्यूरोलॉजिस्ट भी आपको अन्य विशेषज्ञ से परामर्श की सलाह दे सकते है।
अन्य विशेषज्ञ जिनसे आप परामर्श कर सकते हैं :
आपके पारिवारिक डॉक्टर
जब आपको पार्किंसंस के लक्षण नज़र आने लगते हैं (पढ़िये पार्किंसन रोग के निदान की तलाश कब करें) उस समय आपको सबसे पहले अपने पारिवारिक डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। वह आपकी सामान्य बिमारी sके बारे में जानते हैं और ज़रूरत पड़ने पर आपको न्यूरोलॉजिस्ट से मिलने की सलाह दे सकते हैं। और पार्किंसंस का निदान होने पर आपकी समय समय पर मदद कर सकते हैं।
स्पीच थेरेपिस्ट (Speech Therapist)
कई दफा पार्किंसंस के कारण रोगी के बोलचाल में बाधाएं, चेहरे के भावों में बदलाव ,भाषा में चुनौतियां आ सकती हैं। स्पीच थेरेपिस्ट रोगी और उनके शुभचिंतकों का मार्ग दर्शन कर सकते हैं और उन्हें कुछ व्यायाम बता सकते हैं जिसका अभ्यास करने से बोलचाल में होने वाले असर को कम किया जा सकता है। आपकी ज़रूरत के हिसाब से अभ्यास जारी रखने की सलाह दे सकते हैं।
ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट (Occupational Therapist)
जब पार्किंसंस के रोगी को रोज़मर्रा के कामों में, दैनिक कार्यों में अड़चन आने लगे तब उन्हें ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट की आवश्यकता होती है , जिससे वह अपनी आत्म निर्भरता कुछ और समय तक बनाये रख सके। हो सकता है कि वह पार्किंसंस के रोगी की सुरक्षा के लिए ,घर के वातावरण में भी कुछ बदलाव करने का सुझाव दें। जिसे से रोगी को गिरने से सुरक्षित किया जा सके और चलने फिरने में सुविधा हो। वह उन्हें कुछ और विकल्प बता सकते है ताकि वे अपने रोज़मर्रा के कार्य करने में सक्षम रहे। जैसे लिखने के लिए रोगी के हाथों की ताकत और लचीलापन बना रहे, और कंप्यूटर के कर्सर (Cursor) की गति को धीमा करने जिससे पार्किंसंस रोगी को कंप्यूटर और फ़ोन चलाने में आसानी हो।
फ़िज़ियोथेरेपिस्ट (Physiotherapist):
पार्किंसंस के रोगी के लिए व्यायाम बेहद आवश्यक है। फ़िज़ियोथेरेपिस्ट उनको उनके हिसाब से व्यायाम बता सकते है और उनकी आवश्कता के अनुसार व्यायाम में बदलाव कर सकते हैं। जिस से पार्किंसंस से कारण होने वाले नुकसान से उनके संतुलन और शारीरिक दशा सही रहे।
मनोविज्ञानीक (Psychologist)
पार्किंसंस के लम्बी यात्रा के कारण रोगी और उनके शुभचिंतको के मानसिक स्वास्थ्य पर असर हो सकता है।कई रोगियों को अवसाद , चिंता ,व्यग्रता आदि होने की सम्भावना है।<<पार्किंसंस के मानसिक असर >>कुछ रोगियों कोपार्किंसंस के बढ़ने से स्मृति समस्या , उन्माद (dementia) आदि हो सकता है। एक मनोविज्ञानी रोगी और उनके शुभचिंतको को इससे निपटने का सही परामर्श दे सकता है।एक शांत मन, रोगी और उनके शुभचिंतको को, अनुकूलता से बदलती परिस्थिति को अपनाने का जरिया बन सकता है।इसमें मनोवियज्ञानिक आपकी मदद कर सकते है ताकि रोगी बिना किसी मानसिक डर से अपने शुभचिंतको पर निर्भर हो सके।