(Read it in English) पार्श्वभूमि
(UNCRPD) विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर कन्वेंशन सयुंक्त राष्ट्र की एक अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संधि है जिसका उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों और सम्मान की रक्षा करना है। २००७ में अस्तित्व में आयी इस संधि का सह हस्ताक्षरकर्ता भारत भी है। भारत ने दिव्यांग अधिनियम १९९५ (Persons With Disability Act, १९९५) में कई बदलाव और संशोधन कर RPWD Act २०१६ को प्रतिस्थापित किया।
इसका उद्देश्य केवल UNCRPD का पालन करना ही नहीं बल्कि भारतीय समाज की सामाजिक सांस्कृतिक संरचना और उपलब्ध संसाधनों पर विचार करना भी है। इस अधिनियम की प्रस्तावना में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि इसका उद्देश्य समाज में प्रत्येक विकलांग व्यक्ति (PWD) की गरिमा को बनाए रखना और किसी भी प्रकार के भेदभाव को रोकना है।
पार्किंसंस से पीड़ितों (PD) को विकलांगता के रूप में मान्यता देना
नए कानून में 21 अलग-अलग स्थितियों को सूचीबद्ध किया गया है जिन्हें विकलांगता के रूप में माना जाता है, जबकि पिछले कानून में यह संख्या 7 थी। इस विस्तृत सूची में तंत्रिका संबंदित कई बिमारियों को स्थान मिला है, क्योंकि इन बिमारियों के कई लक्षणों के कारण पीड़ितों के स्वतंत्र जीवन जीने में अड़चन आती है तथा उन्हें लम्बे समय तक देखभाल की आवश्यकता होती है। पार्किंसंस से पीड़ितों का भी इसमें समवेश है। पार्किंसंस के साथ यह भी माना जाता है कि यह गति, वाणी और कार्य करने की क्षमता को प्रभावित होती है और यह समय के साथ बदतर होती जाती है।
पार्किंसंस से पीड़ितों के लिए उपलब्ध लाभ :
केंद्रीय एवं राज्य सरकार द्वारा पार्किंसंस से पीड़ित व्यक्तियों के लिए कई लाभ और प्रावधान उपलब्ध है। इनका लाभ उठाने के लिए दिव्यांग प्रमाणपत्र की आवश्यकता होती है।
कुछ मुख्य लाभ :
- रेल यात्रा करते हुए दिव्यांगों के लिए आरक्षित डब्बों में यात्रा करने की अनुमति।
- हवाई यात्रा के किराये में छूट
-बस यात्रा के किराए में छूट
-आईटी अधिनियम की धारा ८० यू के तहत आयकर कटौती लाभ ।
विकलांगो के लिए 75,000 रुपये तथा गंभीर विकलांगता वाले लोगों के लिए 1,25,000 की कटौती का प्राविधान है। इसका लाभ उठाने के लिए चिकित्सा व्यय का प्रमाण आवश्यक है। यदि कोई निकटतम रिश्तेदार किसी विकलांग व्यक्ति के लिए बीमा प्रीमियम का भुगतान कर रहा है, तो वे धारा 80DD के तहत कटौती का दावा कर सकते हैं।
ध्यान दें कि उपरोक्त में से प्रत्येक रियायत प्राप्त करने के समय प्रचलित केंद्र और राज्य सरकार की विशिष्ट नीतियों के अधीन हो सकता है।
दिव्यांग प्रमाणपत्र सिर्फ राज्य सरकार के हस्पताल जारी कर सकते हैं।
प्रमाणपत्र के लिए पात्रता मानदंड:
-भारतीय नागरिक होना आवश्यक है
- दिमागी डॉक्टर (Neurologist) का लिखित निदान पत्र
- डॉक्टर द्वारा दिया हुआ दवा का परचा
- CT या MRI स्कैन (यदि लागू हो तो)
-किसी योग्य डॉक्टर से विकलांगता के बारे में विस्तृत नोट
दिव्यांग प्रमाण पत्र के लिए व्यक्ति को कम से कम ४०% विकलांगता होना आवश्यक है। ये काम राज्य सरकार द्वारा संचालित हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजिस्ट करते है।
References:
Read in English : https://www.lifesparktech.com/post/parkinson-s-a-recognised-disability-by-the-indian-law