वैसे तो पार्किंसंस बड़ी उम्र में होने वाली बिमारी है , लेकिन लगभग १०% से २०% प्रतिशत रोगियों को ५० वर्ष की उम्र से पहले इसके लक्षण महसूस होने लगते है, इसे युवा अवस्था में पार्किंसंस कहते है। इसका इलाज वही है, लेकिन युवा अवस्था के पार्किंसंस के रोगी का अनुभव अलग होता है। वैज्ञानिक युवा अवस्था के पार्किंसंस के कारण समझने की कोशिश कर रहे हैं।
निदान
युवा अवस्था में होने वाले पार्किंसंस के रोगियों के लिए निदान का सफर काफी लम्बा होता है। कई बार तो सही निदान पर पहुँचने के लिए अलग अलग विशेषज्ञों से सलाह और कई तरह की जांच करनी पड़ती है। जैसा कि बड़ी उम्र में होने वाले पार्किंसंस में होता है, युवा अवस्था में होने वाले पार्किंसंस (YOPD) रोगी की चिकित्सा इतिहास एवं शारीरिक जांच पर निर्भर करती है। जब युवा रोगी तथा उनके चिकित्सक पार्किंसंस जैसे निदान की अपेक्षा नहीं कर रहे हो, तब उसके निदान में देरी या चूक हो सकती है। पार्किंसंस का अंततः निदान होने से पहले हाथ या कंधे के जकड़न को गठिया या खेल द्वारा लगी चोटों के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जाना असामान्य नहीं है।
कारण
पार्किंसंस रोग के लिए अनुवांशिक परिवर्तन और नैसर्गिक कारणों (अलग अलग स्थर में) को जिम्मेदार ठहराया जा सकता हैं। युवाओं में , खासकर जिनके परिवार के कई सदस्य पार्किंसंस से पीड़ित हो , अनुवांशिक कारण का हाथ हो सकता है। कुछ अनुवांशिक उत्परिवर्तन (जैसे PRKN genes)* युवा शुरुआत PD के बढ़ते जोखिम से जुड़े हैं। अगर आप YOPD से पीड़ित हैं (और आपके परिवार में पार्किंसंस से पीड़ित लोग हैं ) तो आपको जेनेटिक टेस्टिंग (genetic testing) करवानी चाहिए ये जानने के लिए कि आप किसी उत्परिवर्तन (mutation) के वाहक तो नहीं हैं। इसका परिक्षण डॉक्टर से या फिर नैदानिक परिक्षण के जरिये हो सकता हैं क्योंकि इसके नतीजे से आपके चल रही औषधि पर फर्क नहीं पड़ता। अनुवांशिक जानकारी के ज़रिये इस बिमारी को समझने में और भविष्य में इलाज ढूंढने में मदद मिलेगी। अपने डॉक्टर से इसके पक्ष विपक्ष के बारे में सलाह करे।
लक्षण और प्रगति
YOPD से पीड़ित लोगों को दुस्तानता (dystonia) यानि मांसपेशियों की अकड़न से ज्यादा जूझना पड़ता हैं , इस कारण उनके अंग विन्यास जैसे पैरों का मुड़ना। और कम उम्र के पीड़ितों में डिस्कीनेसिआ (dyskinesia) यानि अनैच्छिक और अनियंत्रित क्रियाएं जैसे छटपटाना , करहाना - ये लम्बे समय तक लेवोडोपा (levodopa) के उपयोग और पार्किंसंस की वजह से होता हैं।
इस बिमारी की प्रगति समय के साथ , सामान्य तौर पैर धीमी गति से होती हैं।
इलाज के विकल्प
पार्किंसंस के लक्षणों से प्रबंधन अनिवार्य तौर से सामन हैं , इसका निदान किस वय में हुआ इससे फर्क नहीं पड़ता। डिस्कीनेसिआ (dyskinesia ) को संभावित देरी करने के लिए कम उम्र में पार्किंसंस से पीड़ित लोग इसकी औषद्यि लेने में विलम्ब करते हैं, विशेषकर अगर लक्षण हलके हैं और उनकी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में अड़चन नहीं डाल रहे हो। आप अपने डॉक्टर से इस बारे में सलाह ज़रूर करे। लेवोडोपा शुरू कब करना सबसे ज्यादा फायदेमंद होगा , इस बात पर डॉक्टरों और शोधकर्ताओं में काफी समय से चर्चा हो रही हैं। कुछ का मानना हैं कि इसे जल्दी शुरू करने से लक्षणों को मर्यादित करने से मदद मिलती हैं और वह लम्बे समय तक क्रियाशील रहता हैं। लेकिन कुछ विशेष्यगों का मानना हैं कि इस औषधि को विलम्ब से शुरू करने से dyskinesia और उस जैसी अड़चने देर से शुरू होती हैं। आपके डॉक्टर आपको इस बात के पक्ष एवं विपक्ष के बारे में समझा सकते हैं।
YOPD पर शोध
वैज्ञानिक अनुवांशिक कारणों पर शोध कर रहे हैं, जैसे PRKN और PINK1 जींस के उत्परिवर्तन और बाकी कारण। इस जानकारी से कई निवारक रणनीतियों तक पहुँचने में आसानी होगी। कई अध्ययनों में रोग की प्रगति को धीमा करने एवं रोकने में मदद मिली हैं।
YOPD में ध्यान रखने लायक बातें :
यूँ तो पार्किंसंस से पीड़ित हर व्यक्ति भविष्य को लेकर चिंतित रहता है , पर YOPD से पीड़ित कुछ ज्यादा ही परेशान होते है क्योंकि उन्हें इससे लम्बे समय तक जूझना पड़ता है। चिंताएं अक्सर संभावित प्रभावों जैसे व्यक्तिगत , पारिवारिक, व्यवासिक जिम्मेदारियों और इच्छाओं को लेकर होती हैं । ऐसे समय में एक ग्रुप की ज़रूरत होती जो आपको सहयोग दे सके।
YOPD से पीड़ित लोगों को अपने भविष्य को लेकर पहले से ही प्लानिंग कर लेनी चाहिए। अपनी नौकरी और बिमारी के लक्षण को ध्यान रखते हुए वित्तीय योजना कर लेनी चाहिए। शादी शुदा ज़िन्दगी पर इसका असर पड़ सकता है , अपने जीवन साथी को ज़रूर बताये की आप YOPD से पीड़ित है। जीवन साथी का सहयोग और समर्थन बहुत आवश्यक होता है।